Tuesday 21 June 2016

सारी दुनिया एक सुर में कह रही है...

हम लगे हैं बचाने में
पर्यावरण को
आह्वान कर रहे हैं सबको
आगे आने के लिए
लेखक कविताओं कहानियों लेखों से
लोगों को जगा रहे हैं,
शिक्षक स्कूलों कॉलेजों में पेड़ों के काटने से होने वाले नुकसान समझा रहे हैं
बच्चे सडकों पे जुलूस निकाल पर्यावरण संरक्षण के नारे लगा रहे है,
नेता पर्यावरण पे लगातार भाषण दे रहे हैं
वैज्ञानिक सम्मलेन कर रहे हैं
पत्रकार लेख लिख रहे हैं
टीवी दुनिया नष्ट होने तक की बात कह रहे हैं
फिल्मकार फिल्में बना रहे हैं
गीतकार गीत लिख रहे हैं
गायक उत्तरी धुर्व में कंसर्ट कर
पिघलते बर्फ पर अपनी चिंताए जता रहे हैं
दो लोग बैठते हैं तो बात होती है सूखे
और गर्मी बढ़ने के कारणों की
सारी दुनिया एक सुर में कह रही है
धरती बचाने को, आसमान बचाने को,
पेड़ बचाने को, पहाड़ बचाने को
नदी बचाने को....
ना जाने किस से कह रही है...

धर्मेन्द्र मन्नु