वो मृत नहीं है
वो पत्थर नहीं है
वो मानव है कर्मशील है
वो चल रहा है गतिशील है
इंसान का कर्म उसे महान बनाता है
न होने पे मूर्तियां बनती है पूजा जाता है।
...
धर्मेन्द्र 'मन्नु'
समय
किसके पास है…
सबके पास
बस वही है
दिन के
चौबीस घंटे…
सप्ताह के
सात दिन…
साल के
बारह महीने……
और कुछ
अनिश्चित से साल
ज़िन्दगी के…।
dharmendra mannu...