Thursday, 11 August 2011

रोना धोना छोडो यारों...

रोना धोना छोडो यारों
बांह की पेंचें मोडो यारों

बातों से ना कोई सुना है
अब ना हथेली जोडो यारों

सूरज निकल चुका है कब का
अपनी आंखे खोलो यारों

बहरी दुनिया को समझाने
अपनी जुबां से बोलो यारों

जो करती है वार तुम्ही पर
उन हाथों को तोड़ो यारों

धर्मेन्द्र मन्नू

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