मैं चाहता हूं…
विकास के झूठे खोखले
दावों के बीच
संप्रदायिकता के आरोपों
प्रत्यारोपों के बीच
मैं चाहता हूं……
आज़ादी के बाद जहां सत्ता का
हस्तांतरण हुआ
और बदलते समीकरणों में
व्यवसाय का रुपान्तरण…
कुछ व्यवसायी बने
कुछ चाटुकार
ठेकेदार और दलाल…
उस व्यवस्था में जहां
नेता का बेटा नेता
अभिनेता का बेटा अभिनेता बनता है
आईएस का बेटा आईएस
डॉक्टर का बेटा डॉक्टर…
मज़दूर का बेटा मज़दूर…
और भिखारी का बेटा भिखारी…
जहां शिक्षा पैसे की बांदी हो
और नौकरी एक बिकाऊ माल…
मैं चाहता हूं…
इस लड़ाई को ज़ारी रखने के लिए
इस विश्वास को बनाए रखने के लिए
कि एक पेपर बेचने वाला
राष्ट्रपति बन सकता है
चाय बेचनेवाला प्रधानमंत्री की
उस कुर्सी पर बैठ सकता है
मैं चाहता हूं
मोदी प्रधानमंत्री बने…
.......
धर्मेन्द्र मन्नु
Tuesday, 8 May 2018
मैं चाहता हूं…
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment