हैं और भी खुबसूरत फ़सने शहर में
हम भी है आपके दीवाने शहर में ।
हर गली में सैकडो रौशन हैं चराग
रोज़ लाखो जल रहे परवाने शहर में।
एक तरफ़ है लाश तो दूसरी तरफ़ खुशी
एक दूसरे से कितने हैं बेगाने शहर में।
जहां भी बस नज़र गई ऊंचे ऊंचे मकान
ढूंढते हैं फिर भी सब ठिकाने शहर में।
दर्द है तन्हाईयां रुसवाईयां यहां
फिर भी हैं जीने के कुछ बहाने शहर में।
Dharmendra mannu
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