पत्थरों का शहर है प्यार नही
दर्द है ठोकरें है यार नही।
जिससे कह दें दिल की बातें अपनी
इस मकान में कोई दीवार नही।
जो भी मिलता है सज़ा देता है
इस क़दर हम भी गुनह्गार नही।
हर सदा मुझको लौट आती है
कोइ सुनता मेरी पुकार नही ।
हम एक पल में छोड दें ये शहर
कह दो मेरी कोई दरकार नही।
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