जाने भी दो दोस्तों अब क्या हुआ
दिल मेरा टूटा अगर तो क्या हुआ
दर्द की चादर लपेटे अश्क में
भीगा है चेहरा मेरा तो क्या हुआ
सर्द आहें बन गई है ज़िन्दगी
ज़ख्म जो गहरा हुआ तो क्या हुआ
कहकशां की भींड़ मे तारे बहुत
कोई ना मेरा हुआ तो क्या हुआ
अब तो अपनी ज़िन्दगी ही रात है
सहर ना मेरा हुआ तो क्या हुआ
Dharmendra mannu
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