SHANTI NAHI SAMADHAAN CHAHIYE...
Monday, 17 March 2014
मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहे...
मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहे
वह शरेशाम महफ़िल सजाते रहे
हम तो उनके ही गम में तडपते रहे
वह हमारे जिगर को जलाते रहे
हम तो जीते रहे उनको ही देखकर
वह तो हमसे ही नज़रें चुराते रहे।
धर्मेन्द्र मन्नु
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment