मोहब्बत कभी ना हमें रास आई।
जब भी दिल दिया तो चोट खाई।
उम्र भर जिनका इन्त्ज़ार किया मैने
मेरे वास्ते एक पल भी ना गवाई।
उनके दर्द से रिश्ता जोडा था मैने
वह न बांट सके थोडी सी तन्हाई।
जब जब बिछे हम उनकी राहों में
तब तब उन्होनें एक ठोकर लगाई।
रात काजल सी कटी मेरी
उन्होने खुब रौशनी जलाई।
धर्मेन्द्र मन्नु
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