समय
किसके पास है…
सबके पास
बस वही है
दिन के
चौबीस घंटे…
सप्ताह के
सात दिन…
साल के
बारह महीने……
और कुछ
अनिश्चित से साल
ज़िन्दगी के…।
dharmendra mannu...
समय
किसके पास है…
सबके पास
बस वही है
दिन के
चौबीस घंटे…
सप्ताह के
सात दिन…
साल के
बारह महीने……
और कुछ
अनिश्चित से साल
ज़िन्दगी के…।
dharmendra mannu...
काले लबादों को
जला दो
सूरजमुखी को सूरज
से मिला दो
कलियों को
खिलखिलाने दो
इश्क के गीत
गाने दो।
घरों में घुटता है
इश्क, ऐसे
रिश्तों के मकड़
जाल में
पिंजरे के पंछी के
पर खोलो परवाज़ दो
गुणसूत्रों के दोष को
मिटाने दो
कलियों को
खिलखिलाने दो
इश्क के
गीत गाने दो...
धर्मेंद्र मन्नु
तुम तोड़ोगे हम जोड़ेंगे
तुम बांटोगे हम साटेंगे
तुम दलित दलित चिल्लाओगे
हम हिन्दू सिंधु गाएंगे
तुम राजनीति चमकाओगे
हम भारत देश बचाएंगे...
धर्मेंद्र मन्नु