Wednesday 9 November 2011

ज़िन्दगी समन्दर सी रही....

ज़िन्दगी समन्दर सी रही
प्यास फिर भी बाकी रही

कुछ तुमने कहा कुछ हमने
बात मगर फ़िर भी बाकी रही

रात गुजरी उनके ख्यालों में
सुबहा हुई तो नींद जाती रही

लहरों जैसी रही ज़िन्दगी
सांस आती रही जाती रही

सुबह तक सब ठीक ही था
रौशनी बाद में जाती रही

धर्मेन्द्र मन्नू

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