Thursday 11 August 2011

कैसा हो रहा है असर आज पहली बार...

कैसा हो रहा है असर आज पहली बार
होश है न अपनी खबर आज पहली बार

उस शोख से निग़ाह जबसे आज मिली है
हर तरफ़ हैं उसके नज़र आज पहली बार

इस गली से उस गली ढुंढा किये उन्हे
ज़िन्दगी बनी है सफ़र आज पहली बार

मंदिर की ख्वाईश है ना मस्ज़िद का ज़िक्र है
कुफ़्र न खुदा की फ़िकर आज पहली बार

सूरज भी चांद जैसा लगे कैसा है भरम
शाम भी लगे है सहर आज पहली बार

धर्मेन्द्र मन्नू

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार

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