Friday 26 August 2011

उनके होंठो पे रुसवाई का बहाना होगा....

दर्द को कही गहरे में छुपाना होगा
सबके सामने हंसना मुस्कुराना होगा

पल पल टूटते हैं विश्वास के किले
ताश के पत्तों को फ़िर से सजाना होगा

भरम रखना है मोहब्बत का दिल में
उस गली में अब रोज़ आना जाना होगा

चुभते हैं कांटे ये उनकी फ़ितरत है
फूलों को अपना दामन बचाना होगा

ऐ लब कभी भूले से नाम ना लेना
उनके होंठो पे रुसवाई का बहाना होगा

धर्मेन्द्र मन्नू

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