Thursday 20 February 2020

मोदी जी और शाहीनबाग की बिरयानी

बिरयानी के चार चम्मच 
यदि शिकवे दूर कर देते, 
तो हिंदुस्तान पाकिस्तान में 
गाढ़ी मोहब्बत होती। 
दुशाले, आम के टोकरे 
बम नहीं बन गए होते
जन्म दिन का केक 
इतना कड़वा नहीं हुआ होता।

मन के भेद मिट जाते ज़रूर
जब वो CAA का उत्सव मनाते
पाकिस्तानी हिन्दूओं की बस्तियों में जाते
उन्हें गले लगाते 
सबको एक एक चम्मच बिरयानी खिलाते
पर यहां तो बात ही उल्टी है।
दिल तो रो रहा है 
अपने उन भाइयों के लिए...
कहां से मिलेंगी उन्हें
अपहरण, रेप, निक़ाह के लिए 
काफ़िर लड़कियां 
वे यहां आ जाएंगे भाग कर
और उनकी गर्दन पे धीरे धीरे चलती 
छूरी खाली रह जाएंगी...
अधूरी रह जाएगी आस और प्यास 
इनके मजहबी भाइयों की
ये आग मज़हब की है
ये आग हवस की है...
चंद चम्मच बिरयानी से 
नहीं बुझने वाली
.....
धर्मेन्द्र 'मन्नु'

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