Sunday 12 June 2011

लहू के रंग ही भर जाए तो अच्छा होगा...

दर्द जो हद से गुज़र जाए तो अच्छा होगा
दर्द ही गर दवा बन जाए तो अच्छा होगा

वक्त है बेवफ़ा न इसपे भरोसा करना
वक्त गर अजनबी बन जाए तो अच्छा होगा

सफ़ेद सफ़हे हैं सारे हमारी ज़िन्दगी के
लहू के रंग ही भर जाए तो अच्छा होगा

हमारी कश्ती तो साहिल पे अक्सर डूबी है
मौजों से दोस्ती हो जाये तो अच्छा होगा

कब तलक बेकरारी कब तलक ये इन्तज़ार
आग ये ठंढी ही हो जाए तो अच्छा होगा

ठहरे पानी सी हो गई है ज़िन्दगी यारों
इससे तो मौत ही आ जाए तो अच्छा होगा

Dharmendra mannu

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