Wednesday 1 June 2011

3. मुझको रोको न वफ़ा करने दो...

मुझको रोको न वफ़ा करने दो।
अपनी क़दमों के तले मरने दो।

तेरी गली में आज जाना है
आज की रात तो सवरने दो ।

कभी तो लब पे आह आएगी
अपनी नज़रों के आगे जलने दो।

अब तो ये ज़िन्दगी नही भाती
अपने वादे से अब मुकरने दो।

खुली है आंख इन्तज़ार तेरा
ना करो देर अब गुज़रने दो।

DHARMENDRA MANNU

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