Sunday 16 March 2014

मुझे आदमखोर ना बनाना…

पिता तुम इतने
स्वार्थी क्यों हो
मेरे भविष्य की चिन्ता में
तुम इतने मतलबी हो गये हो…
कि दूसरों के बच्चों की तुम्हे
कोई फ़िकर नही होती है…
जब तुम किसी मज़दूर से काम लेते हो…
उसकी मज़दूरी का एक
हिस्सा मार जाते हो
जब किसी सरकारी आफ़िस में काम करते हो…
घुसखोरी के नये कीर्तीमान
स्थापित करते हो…
नेता बनते ही घोटालों का इतिहास रच देते हो…
जहां जिस पद पे रहे हो…
मेरे लिये लाखो बच्चों का हक़ मारा…
दूध, अन्न, स्कूल, स्लेट, पेंसिले छीन ली…
किसी बच्चे को भीख मांगते देख कर
एक पल के लिये भी
तुम्हारा मन नही पसीजता
कि ये भी किसी के बच्चे हैं…
मुझे एसी में रखने के लिये ना जाने
कितने लोगों के सर के पंखे बेंच दिये…
मुझे कार देने के लिये
कितने बच्चों को साइकिलें भी मयस्सर ना होने दी…
मुझे ऐशोआराम में रखने के लिये
ना जाने कितनों का खून चुसा, जान ली
मुझे इनकी ज़रुरत नही है
देखो ना मेरे हाथ पैर हिल रहे हैं
मैं लूला लगड़ा पैदा नही हुआ हूं
मुझे सिर्फ़ तुम्हारा अच्छा मार्गदर्शन चाहिये
पिता मुझे दूध पिलाना
किसी बेबस मजबूर का
खून ना पिलाना… मुझे अन्न खिलाना, 
किसी का मांस ना खिलाना
मुझे आदमखोर ना बनाना… 

धर्मेन्द्र मन्नु

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