Monday 17 March 2014

सहमी सहमी हर एक नज़र क्यो है...

सहमी सहमी हर एक नज़र क्यो है।
सबके हाथों में एक खंज़र क्यो है।

सबके दामन में लहू दिखता है
शहर ये बन गया जंगल क्यों है।

दूर तक दिखती नही परछाई
सूना सूना सा हर डगर क्यों है ।

अपनों की भींड में सब अजनबी है
दिलों में इस कदर नफ़रत क्यों है।

सर्द रातों में जागती आंखें
आंखों से नींद दरबदर क्यों है।

धर्मेन्द्र मन्नु

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